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१४०६
भारत में अंगरेज़ी राज

१४०६ भारत में अंगरेजी राज नगर निवासी तथा शहरों सश्व ग्राम निवासी बाहर से आए आकर एकत्रित हो रहे थे । उधर छावनी में ज़ोरों की? मेरठ में क्रान्ति का तैयारी जारी थी। सबसे पहले कुछ सबार पहला दिन जेलख़ाने की ओर गए । जेलर भी क्रान्तिकारियों के साथ मिले हुए थे । जेलक़ाने की दीवारें गिरा दी गई । समस्त कैदियों की बेड़ियाँ काट दी गई । हिन्दू और मुसलमानपैदल सवार और तोपखाने के सिपाही इधर उधर मेरठ के तमाम अंगरेजों का ख़ात्मा करने के लिए दौड़ पड़े। श्रनेक अंगरेज़ मारे गए । बेंगलएँ, दल और होटलों को आग लगा दी गई । ‘दीन ! दीन !' 'हर हर महादेव !’ और मारो फ़िरो को ! की आवाजें चारों ओर शहर और छावनी में गूंजने लग। नियत योजना के अनुसार तार काट दिए गए और रेलवे लाइन पर क्रान्तिकारियों का पहरा होगया । जो अंगरेज़ बचे उनमें से कुछ प्रस्तबलों और नालियों में छिप गए और शेष ने अपने हिन्दोस्तानी नौकरों के घरों में पनाह ली । टैं कि शहर और छावनी दोनों में बगावत की आग लगी हुई थी, इसलिए जो थोड़ी सी अंगरेजी सेना मेरठ में मौजूद थी वह भी कर्त्तव्यविमूढ़ होगई । अनेक अंगरेज़, स्त्रियाँ और बच्चे बैंगलों के अन्दर जल कर ख़त्म होगए । १० तारीख़ ही की रात को मेरठ के सैनिक दिल्ली की ओर रवाना होगए । मातसेन, व्हाइट और विलसन ये तीनों इतिहास लेखक स्वीकार करते हैं कि मेरठ में क्रान्ति का समय से पहले प्रारम्भ हो जान