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भारत में अंगरेज़ी राज

१४२ भारत में अंगरेजी राज उस ब्राह्मण को फाँसी के लिए अलीगढ़ लाया गया । २० मई की शाम को समस्त देशी सिपाहियों के सामने उसे फाँसी पर लटका दिया गया । ब्राह्म ण को फाँसी पर लटका हुआ देख कर सिपाहियों का खून खौलने लगा । लिखा है कि तुरन्त एक सिपाही क़तार से निकल कर अपनी तलवार से उसके शरीर की ओर इशारा करके चिल्लाने लगा-‘भाइयो ! यह शहीद हमारे लिए रक्त का स्नान कर रहा है !” सिपाहियों के लिए अब ३१ तारीख़ का इन्तजार कर सकना असम्भव था। तुरन्त समस्त 8 नम्बर पलटन बिगड़ खड़ी हुई, किन्तु इस पलटन के सिपाहियों ने शान्ति के साथ अपने अंगरेज अफसरों से कहा कि यदि आप लोग अपनी जान बचाना चाहते हैं तो तुरन्त अलीगढ़ छोड़ दीजिए । उसी समय अलीगढ़ के समस्त अंगरेज अपनी स्त्रियों और बच्चों सहित अलीगढ़ से चल दिए और २० तारीख़ की आधी रात से पहले स्वाधीनता का हरा झण्डा अलीगढ़ के ऊपर फहने लगा। सिपाही बहुत सा ख़ज़ाना और अस्त्र शस्त्र लेकर दिल्ली की ओर रवाना होगा । अलीगढ़ का यह समाचार २२ तारीख़ को मैनपुरी पहुँचा। उस दिन बहाँ के सिपाही भी बिगड़ खड़े हुए है। मैनपुरी की इन लोगों ने भी तमाम अंगरेजों की जान बख़्श। स्वाधीनता दी और ठीक अलीगढ़ के सिपाहियों के सोन गोला बारूद और शछ ऊँटों पर लाद कर २३ मई को राजधानी को योर रवाना होगये। स्वाधीनता का झण्डा मैनपुरी के ऊपर भी फहराने लगा ।