पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३४०

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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ १४१७ हैं - बरेली के दूसरी ओर मुरादावाद है । बहाँ पर २६ नम्बर देनी पलटन थी। १८ मई को अंगरेज़ अफ़सरों को मुरादाबाद की पता चला कि मेरठ के कुछ क्रान्तिकागी सिपाही स्वाधीनता मुरादाबाद के निकट जाकर ठहरे हुए हैं। रात के समय २६ नवर के सिपाहियों को मेरठ के सिपाहियाँ पर हमला करने का हुकुम मिला। सिपाहियों ने उन पर हमला किया । लड़ाई के बाद इन सिपाहियों ने अपने अफसरों को इतला दी कि सिवाय एक के बाकी सब मेरठ वाले भाग गए । कुछ दिनों बाद पता चला कि ये सब मेरठ के सिपाही मुरादाबाद के सिपाहियों के साथ वार में छाये और रात को खाने पीने और बातचीत के बाद वहीं प्रानन्द के साथ रात विताई । ३१ मई को सबेरे २६ नम्बर पलटन के सत्र सिपाही परेंड पर में जमा हुए । उन्होंने अपने अंगरेज़ अफ़सरों को नोटिस दिया कि कम्पनी का राज समाप्त हो गया । आप सब लोग दो घण्टे के के अन्दर मुरादाबाद छोड़ दीजिए, नहीं तो आप सब को मार डाला जायगा से ” मुरादाबाद की पुलिस और जनता भी क्रान्ति के पक्ष में थी। कुछ अंगरेज जिनमें बहाँ के जजकलेक्टर और सिविल सर्जन भी शामिल थे, अपने बाल बच्चों को लेकर मुग दाबाद से भाग निकले। मुरादाबाद का कमिश्नर पॉवेल औौर उसके कुछ अंगरे साथी मुसलमान हो गए ।नकी जानें बख्श दी गई । सिपाहियों ने ख़ज़ाने और तमाम सरकारी मान पर क़ब्ज़ा कर 6