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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ १४१४ भाइयो ! आाष सत्र को मालूम होना चाहिए कि अगर ये अंगरेस - हिन्दोस्तान में रह गए तो हम सब को केरल कर देंगे और श्राप लोगों के मज़हब को मिटा देंगे ! हिन्दोस्तान के बाशिन्दे इतने दिनों तक अंग्रेज़ी के धोखे में ग्राते रहे, ऑौर अपनी ही तलवा से न पने गले काटते रहे हैं । इसलिए आप हमें मुल्क ' फ़रोशी के अपने इस गुनाह का प्रायश्चित करना चाहिए ! अंगरेज़ आय भी अपनी पुरानी बग़।बाज़ी से काम लेंगे । वे हिन्दुओं को मुसलमानों के ख़िलाफ़ और मुसलमानों को हिन्दुओं के विजेता भारने की कोशिश करेंगे । लेकिन हिन्दू भाइयो ! उनके फ़्रेय में न पड़ना । हमें अपने होशियार हिन्दू भाइ को यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि अंगरेज़ कभी अपने वादे पूरे नहीं करते । ये लोग चाल और दशबाज़ी में ताक़त हैं ! ये हमेशा से सिव।य प्रपने मज़हब के औौर सघ मज़हबों को दुनियों से मिटाने की कोशिश करते रहे हैं । क्या उन्होंने गोद लिए हुए बच्चों के हक्र नहीं छीन लिए हैं ? प्रया उन्होंने हमारे राजाओं के राज और मुरु नहीं हड़प लिए हैं ? नागपुर का राज किसने ले लिया १ लखनऊ की बादशाहत किसने छीन ली है हिन्दू और मुसलमान दोनों को पैरों तले किसने फंदा ? मुसलमानों ! अगर सुम कुरान की इज्ागत करते हो तो और हिन्दु ! अगर तुम गो माता की 0 इज़्ज़त करते हो तो, अब अपने छोटे छोटे तफ को भूल जाओ और इस पाक ज में शामिल हो जानो ! लड़ाई के मैदान में कूद कर एक झण्डे के नीचे लड़ो और खून की नदियों से गूंगरेजों का नाम हिन्दोस्तान से धो डालो !” “ गाय का मारा जाना बन्द कर दिया जाय । इस पर अन्न में जो आदमी खुद लड़ेगा या जो घन से लड़ने वालों की मदद करेगा, दोनों