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भारत में अंगरेज़ी राज

१४२२ भारत में अंगरेजी राज परेड के मैदान में जिस समय देशी सिपाहियों को हथियार रख देने की आज्ञा दी गईवे बजाथ हथियार सिख और मैगजीन पर और अंगरेज हिन्दु ", और रखें देने के अफसरों के साथ का एक पर टूट पड़े। तुरन्त सिख पलटन उनके मुकाबले मान अवसर। के लिए आ खड़ी हुई । अभी लड़ाई शुरू ही हुई थी कि अंगरेजी तोपखाने ने आकर सब पर गोले बरसने शुरू किए । यद्यपि सिख अंगरेजों का साथ दे रहे थे, फिर भी उस समय की घबराहट में तोपखाने के अंगरेज अफसर हिन्दू और सिखों मे तमीज न कर सके। उन्होंने दोनों पर गोले बरसाने शुरू किए। विवश होकर सिखों को विप्लवकारियों का साथ देना पड़ा। सन् ५७५८ के तमाम बिप्लब में शायद यही एक मात्र अवसर था । जब केि सिख सेना ने हिन्दू और मुसलमानों का साथ दिया। बनारस की जनता विप्लघकारियों के साथ थी । किन्तु लिखें। ने, वहां के कई रईस ने और राजा चेतसिंह के बनारस में हैं वंशज बनारस के उपाधिधारी राजा ने उस समय क्रान्तिकारियों की अंगरेजों को पूरी सहायता दी। विप्लवकारी नगर छोड़ कर इधर उधर फैल गए। ५ जून को जौनपुर में बिप्लब प्रारम्भ हुआ, कई अंगरेज़ मारे गए । शेष को नगर छोड़ने की आज्ञा दे दी गई। जौनपुर की विप्लवकारियों ने खजाने पर क़ब्ज़ा कर लिया । स्वाधीनता जौनपुर के बचे हुए अंगरेज किश्तियों में बैठ कर बनारस की ओर चल दिए । असफलता