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भारत में अंगरेज़ी राज

१४२४ भारत में अंगरेज़ी राज की अपेक्षा भी कहीं अधिक जोश था। चारस वाल लिखता है कि अंगरेज के अधिकांश बड़े और छोटे देशी मुलाजिम इस सरकार संगठन में शामिल थे । का r जिस समय मेरठ का समाचार इलाहाबाद पहुँचा, इलाहाबाद में एक भी अंगरेज सिपाही न था, वहाँ ६ इलाहाबाद शहर नम्बर देशी पलटन, करीब २०० सिख सिपाही पर क्रान्तिकारियों और मुट्ठी भर अंगरेज अफसर थे । अवध से देशी सवारों की पक पलटन और बुला ली गई । ६ नम्बर पलटन ने अपने अंगरेज अफसरों को इतनी सुन्दरता के साथ बहकाए रक्खा कि अफसरों को श्रत समय तक उन पर सन्देह न हो पाया । दिल्ली का समाचार पाकर उन्होंने अपने अफ़सरों से कहा -आप हमें दिल्ली भेज दीजिएहम विद्रोहियों के टुकड़े टुकड़े कर डालेंगे।” इस पर गवरनर जनरल लॉर्ड कैनिक तक ने ६ नम्बर पलटन को शाबासी दी। लिखा है कि ६ जून को जब उनके अंगरेज अफसर बागों में उनसे मिलने के लिए गए तो कुछ सिपाहियों ने अपनी खैराही दर्शाने के लिए लपक कर उन्हें छाती से लगाया और उनके दोनों गांवों को चूमा। किन्तु वही रात उनके बिप्लव के लिए नियत थी। ६ नम्बर की बारगें किले से बाहर से थीं । जिस वक्त अंगरेज अलर खाना खा रहे थे, सिपाहियों की बिगुल बजी। अनेक अंगरेज सारे गए। शेष जिले में जाकर छिप गए। अंगरेजों ने सवार पतटन को अपनी मदद के बुलाया । सवार जमा हुए । किन्तु बजाय क्रान्तिकारियों पर हमला करने के चे