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भारत में अंगरेज़ी राज

तिरछे अक्षर१४६ भारत में अंग्रेज़ी राज हरा झण्डा फहराने लगा । जगह जगह अंगरेजों के नियुक्त किए हुए नए जमींदार हटा दिए गए और पुराने खानदानी जमींदार उनकी जगह नियुक्त कर दिए गए । लिखा है कि नगर के अन्दर दस दस बारह बारह वरस के लड़के हरे झण्डे हाथों में लेकर जुलूस बना कर निकलने लगे । इतिहास लेखक सर जॉन के लिखता है न केवल गंगा के पार के इलाक़ों में ही, बल्कि गंगा और जमना के बीच के इलाके में भी देहाती जनता बिगढ़ खड़ी हुई ।× x x शीघ्र ही हिन्दू अथवा मुसलमान एक भी मनुष्य न बचा जो हमारे विरुद्ध न हो गया हो 18 इलाहाबाद के स्वाधीन होने के बाद दो चार दिन थोड़ो बहुत अराजकता रहो । उसके बाद शहर के लोगों मौलवी और आस पास के कुछ जमींदारों ने मिल कर लियाक़त ाि मौलवी लियाक़तअली नामक एक योग्य मनुष्य को सम्राट बहादुरशाह की ओर से इलाहाबाद के इलाके का सूबेदार नियुक्त किया । लियाकतनली पक असाधारण योग्यता का मनुष्य था । उसके चरित्र की पवित्रता के कारण सब लोग उसका आदर करते थे । उसने खुसरो बाग को अपना केन्द्र बनाया, शहर में पूरी शान्ति स्थापन कर दी और दिल्ली सम्राट को बराबर अपने रा यहाँ के हालात की सूचना देता रहा । इसके बाद मौलवी लियाक़त - 2 से 5 तक का क का कहना है । ।

  • Ior not only in the districts beyond the Ganges but in those lying

between the two rivers, the rural population had risen . . . and, soon there ga scarcely a man of either faith who was not arayet against us, " Kaye's rtai Mriy, vol . ii, page 195.