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भारत में अंगरेज़ी राज

११३४ भारत में अंगरेजी राज डर। भारतवासियों की शिक्षा की और अंगरेज़ शासकों का विरोध इसके बहुत दिनों बाद तक बराबर जारी रहा। - लियोनेल सन १३१ की जाँच के समय सर जॉन मैलकम स्मिथ का रके बीस वर्ष पहले के विचारों को दोहराते हुए मेजर जनरल सर लियोनेल स्मिथ ने कहा- "परिणाम कि शिक्षा का यह होगा वे सब साम्प्रदायिक और धार्मिक पक्षपात, जिनके द्वारा हमने अभी तक मुल्क को वश में रक्खा है- -और । हिन्दू मुसलमानों को एक दूसरे से लड़ाए रखता है, इश्यादि -दूर हो जायेंगे; शिक्षा का परिणाम यह होगा कि इन लोगों के दिमाग़ खुल जायेंगे और ! उन्हें थपनी विशाल शक्ति का पता लग जायगा ।।” किन्तु १८ वीं शताब्दी के अन्त से ही इस विषय में अंगरेज़ शासकों के विचारों में अन्तर पैदा होना शुरू हो अंगरेजी राज के गया। कारण यह था कि धीरे धीरे इंगलिस्तान लिए शिक्षा रू के नीतिों को भारत के अन्दर दो विशेष की आवश्यकता कठिनाइयाँ अनुभव होने लगीं । १-चूंकि शिक्षित भारतवासियों की संख्या दिन प्रति दिन घटती जा रही थी, इसलिए अंगरेज़ों को अपने सरकारी महकमों और विशेष कर नई अदालतों के लिए योग्य हिन्दू और मुसलमान कर्मचारियों की कमी महसूस

  • The effect of education will be to do away with all the prejudices

of sects and religions by which we have hitherto kept the country the Mussalmans against Hindoos, and so on : the efeet of education will be to expand their minds, and show then their vast power. "--MajorkGeneral sir Lionci Smitl, K. C. B., the enquiry of 1831.