पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३६०

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प्रतिकार का प्रारम्भ

प्रतिकार का प्रारम्भ १३' । हाथ में लेकर ढोल बजाते हुए जुलूस की शक्ल में शहर की गलियाँ T- में घूम रहे थे 1* लन्द्र ‘टाइम्स’ के सम्पाददाता सर विलियम रसल से कमाण्डरइन-चीफ़ सर कॉलिन कैम्पवेल से ऋण दाताओं को कहा था कि उन दिनों इलाहाबाद का एक फांसी अंगरेज सौदागर विद्रोहियों का पता लगाने के लिए स्पेशल कमिश्नर नियुक्त किया गया । वह अनेक हिन्दोस्तानी व्यापारियों का कर्जदार था 1 सबसे पहला काम उसने यह किया कि अपने सब ऋणदाताओं को पकड़ कर फाँसी दे दी । | इलाहाबाद के चौक के अन्दर उन सात नीम के पृक्षों म से ‘ अभी तक तीन मौजूद हैं, जिनकी शातों पर, इलाहाबाद चौक चन्द दिन के अन्दर, कहा जाता है कि करीब के नीम के वृक्ष आठ सौ निष नगर निवासियों को फाँसी दे . दी गई। इस फाँसी के ट्रेन को बयान करते हुए हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान पण्डित वालझष्ण भट्टजिनकी आयु सन् ५७ में क़रीब १५ वर्ष की थी, कहा करते थे कि अहियपुर मुहल्ले का एक मनुष्य समाचार-सुनकर फाँलियाँ देखने के लिए चौक में पहुँचा । जो अंगरंज फाँसी दिलवा रहा था उसने पूछा-- तुम क्यों खड़े हो ? उसने उत्तर दिया-सुना था यहाँ फाँसियाँ लग रही हैं. - - - - - में 2 से 4 - - - - - - - - -

  • Kaye's Inalian Mittiny, Book t, chanter, ii,
  • Sir V. H, Russell's private letter to John Delane, Editor of the

Zood Tiat written from Lickiog