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भारत में अंगरेज़ी राज

१४३६ भारत में अंगरती राज इसलिये कंबल देखने आया था 1 सदव ने आज्ञा दी, इसे भी फाँसी दे दो। तुरन्त बह निष और चकित दर्शक एक नीम पर लटका दिया गया । जो काम सात नीम के वृक्षों पर चौक में हो रहा था वही उस समय’ सैकड़ों अन्य नीम और आम के वृक्षों पर इलाहाबाद और उसके आस पास के इलाके में किया जा रहा था। नगर के कुछ लोगों ने बचने के लिए किश्तियों में बैठ कर नगर से भाग जाना चाहा । किन्तु फ़िले के नीचे तोपें किश्तिों पर लगी हुई थीं और अंगरेजी सेना किनारे पर गोलाबारी मौजूद थी। कि श्तियों में भागते हुए लोगों पर किनारे से गोलियाँ श्रौर गोलों की बौछार की गई और उन्हें वहीं समाप्त कर दिया गया । इलाहाबाद के अपने एक दिन के कृत्यों को बयान करते हुए एक अंगरेज अफ़सर लिखता है फाँसी के तरीके एक यात्रा में मुझे अद्भुत आनन्द पाया 1 इम लोग एक तोप लेकर एक स्टीमर पर चढ़ गए । सिख और गोरे सिपाही शहर ) की तरफ़ बढ़े । हमारी किश्ती ऊपर को चलती जाती थी और हम अपनी सोप से दाएँ औौर बाएँ गोले फेंकते जाते थे । यों तक कि हम विद्रोही ग्रामों ड में पहुँचे 1 किनारे पर जाकर हमने अपनी बन्दूकों से गोलियाँ बरसानी शुरू कीं । मेरी पुरानी दो नली बन्दूक ने कई काले श्रादमियों को गिरा दिया । मैं बदलालेने का इतना प्यासा था कि हमने बाएँ और बाएँ गार्यों में आग लगनी शुरू की 1 लपटें आसमान तक पहुँचीं और चारों ओर फैल गई। हवा ने उन्हें फैलने में मदद दी, जिससे मालूम होता था कि बाबा f