पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४४६
भारत में अंगरेज़ी राज

१४४६ भारत में अंगरेजी राज कि सारी वातचीत हिन्दोस्तानी में की जाय; और हिन्दोस्तानी में ही बात चीत हुई। अन्त में किले के अन्दर के सब अंगरेजों ने अपने आपको नाना के सुपुर्द कर दिया। किला, तोपखाना और भीतर के तमाम अस्त्र शस्त्र और ख़जाना नाना के हवाले कर दिया गया। नाना की तरफ़ से वादा किया गया कि सब अङ्गरेजों को किश्तियों में बैठाकर और मार्ग के लिए रसद देकर इलाहाबाद भेज दिया जायगा। उसी रात को चालीस किश्तियों का इन्तजाम कर दिया गया । उनमें रसद का सामान रख दिया गया । २७ सतीचौरा घाट तारीख को सवेरे अगरेजी झण्डा किले पर से का हत्याकाण्ड उतार दिया गया। सम्राट बहादुरशाह का झण्डा उसकी जगह फहराने लगा और सब अगरेजों को हाथियों और पालकियों में बैठा कर किले से डेढ़ मील दूर सतीचौरा घाट पर पहुँचा दिया गया। किन्तु इस वीच इलाहाबाद और उसके आस पास के इलाके से असंख्य मनुष्य जिनके घर द्वार, सम्बन्धियों और वाल बच्चों को जनरल नील के सिपाहियों ने जला कर खाक कर दिया था, । कानपुर नगर में पायाकर एकत्रित हो रहे थे। इन लोगों के बयानों और इलाहाबाद में कम्पनी की सेना के अत्याचारों को सुन सुन कर कानपुर की जनता और वहाँ के देशी सिपाहियों का क्रोध भडक रहा था। २७ जून को सवेरे दस बजे किश्तियाँ सतीचौरा