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भारत में अंगरेज़ी राज

१४४८ भारत में अंगरेजी राज ___ इसमें सन्देह नहीं सतीचौरा घाट का हत्याकाण्ड किसी तरह भी जायज़ नहीं कहा जा सकता। निःशस्त्र लोगों पर वार करना युद्ध के सदाचार में भी क्षमतव्य नहीं है। इसके अतिरिक्त नाना ने इन लोगों से प्राणदान का वादा कर लिया था। दूसरी ओर हमें यह स्मरण रखना होगा कि सतोचौरा घाट के अत्याचार की जिम्मेदारी एक दर्जे तक जनरल नील और उसके साथियों के उन कहीं अधिक वीभत्स अत्याचारों पर है, जिन्होंने कानपुर के हिन्दो- स्तानी सिपाहियों के मस्तकों को ठिकाने रहने नहीं दिया। नाना ने कैदी अंगरेज़ स्त्रियों पार बच्चों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया उसके विषय में अनेक झूठी ऊदी अंगरेज़ ___अफवाहें उन दिनों इंगलिस्तान और भारत में स्त्रियों के प्रति र उड़ाई गई। हम इन अफवाहों को दोहराना नाना का व्यवहार उचित नहीं समझते । इतना कह देना काफ़ी है कि बाद में अंगरेज़ों ही का एक कमीशन इन इलज़ामों की जाँच करने के लिए नियुक्त हुआ । इस कमीशन ने पूरी जाँच के बाद फैसला दिया कि पूर्वोक्त तमाम अफवाहें विलकुल भूठी थीं।" जस्टिन मैकार्थी इन अफवाहों के विषय में लिखता है- "लोगों को क्रोधाग्नि को इस तरह की अफवाहें उड़ा उड़ा कर भड़काया। गया कि ग्राम तौर पर स्त्रियों की बेइज्जती की गई और निर्दयता के साथ उनके अंग भंग किए गए। सौभाग्यवश ये अफवाहे मूठी थी xxx सच

  • fuir's Report and Wilson's Report. Also Kaye and Malleson's

IndianMutiny, vol. ii, p.267.