पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३८

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भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश ११३७ अंगरेज़ भारतवासियों को शिक्षा देने के पक्ष में होगए। सन् १८१३। के बाद की बहस में इस विषय का बार बार जिक्र जाता है । स सन् १८७३ में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए अंतिम चारटर एक्ट पास होने के समय भारतवासियों की शिक्षित शिक्षा के प्रश्न पर अनेक योग्य और अनुभवी भारतवासियों सिख अंगरेज़ नीतियों और विद्वानों की गवाड़ियाँ जमा को गई। इन गवाहियों में से नमूने के तौर पर दोनों पक्षों की एक पक या दो दो गवाहियाँ उद्धृत करना काफ़ी है । ४ अगस्त सन् १८५३ को मेजररॉलेण्डसन ने, जो १७ वर्ष तक मद्रास प्रान्त के कमाण्डरइन-चीफ़ के साथ फ़ारसी नुवादक रह चुका था । और वहाँ की शिक्षा कमेटो का मन्त्री रह चुका था, पालिमेण्ट की कमेटी के सामने इस प्रकार गवाही दी. प्रश्न- आपने यह राय प्रकट की है कि भारतवासियों को शिक्षा देने का नतीजा यह होता है कि वे अंगरेज सरकार के विरुद्ध हो जाते हैं, क्या आप यह समझाएँगे कि इसका कारण क्या है, और सरकार की और उनकी शत्रुता किस ढलू की और कैसी होती है ? उत्तर—मेरा यूनुभव यह है कि भारतवासियों को ज्ों ज्यों ब्रिटिश भारतीय इतिहास के भीतरी हाल का पता लगता है और प्राम तौर पर यूरोप के इतिहास का ज्ञान होता है, स्यों स्यों उनके चित्त में यह विचार उत्पन्न होता है कि भारत जैसे एक देश का मुट्ठी भर विदेशियों के क़ब्ज़े में होना एक बहुत बड़ा अन्याय है, इससे स्वभावतः उनके चित्त में प्रायः यह