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भारत में अंगरेज़ी राज

१४५८ भारत में अंगरेज़ी राज स्वाधीनता लखनऊ से करीब ५० मील उत्तरपश्चिम में सीतापुर है । वहाँ पर कम्पनी की तीन देशी पलटने थीं । ३ जून ! सीतापुर की को इन पलटनों ने कम्पनी का झण्डा फेंक कर हरा झण्डा हाथ में ले लिया 1 उन्होने ख़ज़ाने पर क़ब्ज़ा कर लिया और जो अंगरल मिता उसे मार डाला कहा जाता है कि २४ अंगरेज़ सीतापुर में मारे गए और कुछ ने ग्रास पास के ज़मींदारों के यहाँ जाकर पनाह ली। सीतापुर को स्वाधीन करने के बाद वहाँ के सिपाही फ़र्रुख़ा- वाद पहुंचे। कम्पनी ने फरुखाबाद के नबाव फ़र्रुख़ाबाद की तफ़ज़्ज़लहुसेन काँ को गद्दी से उतार दिया । स्वाधीनता था । फरु खाबाद के किले में बहुत से अंगरेजों ने पनाह ले रक्खी थी। एक ख़ासे जबरदस्त संग्राम के वाद क्रान्तिकारियों ने फरुखाबाद के किले पर कब्ज़ा कर लिया, वहाँ के समस्त अंगरी को मार डाला और पदच्युत नवाब को फिर से वहाँ की गद्दी पर बैठा दिया। पहली जुलाई की तक फरु खावाद रियासत में एक भी अंगरेज़ बाक़ी न था। मोहम्मदी, मालन, बहरायचगोंडासिकरोरा, मेलापुर इत्यादि आस पास के समस्त इलाक़ १० जून अवध की सन् ५७ तक पूरी तरह प्राज़ाद हो गए। स्थाम स्थान पर अनेक अंगरेज़ मारे गए, अनेक भाग निकलेऔर कुछ को आस पास के जमींदारों ने अपने यहाँ शरण दी। । स्वाधीनता