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भारत में अंगरेज़ी राज

११३ भारत में अंगरेजी राज इसका उखाक हो जाती है कि वे अपने देश को इस विदेशी शासन से स्वतम्न करने में सहायक हों , और चूंकि इस विचार को दूर करने वाली कोई बात नहीं होती और न उनमें आज्ञा पातन का भाव ही पकफा होता है, इसलिए ब्रिटिश सरकार की ओोर द्रोह का भाव इन लोगों में पैदा हो जाता है। » ” मैंने देखा है कि हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों में यह भाव मौजूद है और मुसलमा में अधिक है ।x “ हैं विशेषकर जब ये लोग ब्रिटिश साम्राज्य के रहस्य को जान जाते हैं । तो उनके दिल में प्रसन्तोष का भाव पैदा हो जाता है और आशा जाग उठतो है, x & K 18 इसी प्रश्नोत्तर में यह भी साफ़ सुझाया गया कि यदि शिक्षा के साथ भारतवासियों के दिलों में यह भय उत्पन्न करने का भी प्रयल किया जाय कि यदि अंगरेज़ भारत से चले गए तो उत्तर की अन्य जातियाँ आकर भारत पर शासन करने लगेंगी, या भारत में अराजकता फैल जायगी, तो इसका परिणाम कहाँ तक हितकर होगा ! अनेक अंगरेजों के विचार मेजर गलेण्डसन के विचारों से मिलते हुए थे । किन्तु दूसरों के विचार इसके कुछ विपरीत विपरीत थे। उनका ख़्याल था कि अशिक्षित विचार भारतवासी शिक्षित भारतवासियों की अपेक्षा विदेशीय शासन के लिए अधिक खतरनाक होते , और भारतवासियों को केवल पश्चिमी शिक्षा देकर ही उन्हें राष्ट्रीयता

  • SistA Rabowl jout t Stry Couittzz an Indian Territorict, 1853,

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