पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४७०
भारत में अंगरेज़ी राज

१४० भारत में अंगरेजी राज वहादुरशाह और विश्लब के के मान्य नेताओं ने सिखों और सिख राजाओं को अपनी ओर करने के भरसक प्रयल सिख सरदारों की किएकिन्तु उन्हें सफलता हो । न सकी सुस्ती और कायरता यहादुरशाह ने अपना एक विशेष दूत ताजुद्दीन पटियाला, नाभा और झींद के राजाओं तथा अन्य सिख सरदारों के पास भेजा। सिख राजाओं से मिलने के बाद ताजुद्दीन ने सम्राट को एक पत्र लिखा, जिसके कुछ वाक्य ये थे : ‘पक्षब के सिख सरदार सब सुस्त और कायर हैं । बहुत कम आशा है। कि वे क्रासिकरियों का साथ दें। ये लोग फ़िरहूि के हाथों के खिलौने बने हुए हैं । मैं स्वयं इन लो से एकान्त में मिला । मैंने उनसे बातचीत की और उनके सामने अपना कलेजा पानी कर दिया । मैंने उनसे कहा, आप लोग फिरट्ठियों का साथ क् देते हैं और मुल्क की आज़ादी के साथ विश्वासघात क्यों करते हैं ? क्या स्वराज में आप इससे अच्छे न रहेंगे ? इसलिए कम से कम अपने फ़ायदे के लिए ही प्रापको दिली के बादशाह का का साथ देना चाहिए !' इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'देखिएहम सब मौके के इन्तज़ार में हैं । ज्योंही हमें सम्राट का हुकुम मिलेगा हम एक दिन ) के अन्दर इन काफिरों को मार डालेंगे ।’x x किन्तु मेरा ख़याल है कि उन पर बिलकु एतबार नहीं किया जा सकता है कुछ दिनों बाद चन्द सवार सम्राट का सन्देश 1 लेकर इन सिख राजाओं के पास पहुँचे । इस बीच लॉर्ड सिख राजाओं का कैनिन और सर जॉन लॉरेन्स के तीर भी सिख विश्वासघात Tहचात राजाओं के दिल और दिमाशों पर चल चुके थे।