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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पक्षाब । और बीच की घटनाएँ १४७१ सिख राजाओं ने दिल्ली सम्राट के सन्देश का तिरस्कार किया और पत्र लाने वाले सवारों को मरवा डाला । पजब की प्रजा को अपनी ओर रखने के लिए सर जॉन लॉरेन्स ने एक और छोटा सा उपाय यह किया । कम्पनी के में कि उसने शुरू ही में पवाब भर से ६ फ़ी सदी कम्पनी राज ही पक्षाथी कर्ज लेना शुरू किया पर कम्पनी के नाम से । साहूकारों का हित इसके दो नतीजे हुए। एक यह रक़म बड़े सजट के समय कम्पनी के काम नाई और दूसरे यह कि पक्षाब के जिन हज़ारों साहूकारों ने कम्पनो को कर्ज़ दिया उन्हें कम्पनी के शासन ः ? के बने रहने ही में अपना हित दिखाई देने लगा। तखनऊ के क्रान्तिकारी नेताओं का कुछ पत्र व्यवहार उस समय काबुल के अमीर दोस्तमोहम्मद खाँ के साथ सरहद में कम्पनी जारी था । मालूम नहीं अफ़ग़ानिस्तान में उसके के धनजीत मुल्ला ने मुकाबले के लिए अंगरेजों क्या क्या किया, किन्तु सरहद की मुसलमान औौों को अपनी ओोर रखने के लिए सर जॉन लॉरेन्स ने खूब धन व्यय किया और उनमें प्रचार करने के लिए अनेक मुल्ला नौकर रक्खे । पवाब के नन्दर सिख और गौरी पलटनों के अतिरिक्त हिन्दू और मुसलमान सिपाहियों की भी अनेक पलटनें हिन्दोस्तानी थीं । ये लोग राष्ट्रीय क्रान्ति में भाग लेने को पतटों से हथियार रवाया जाना कसमें खा थे चुके । इनके अंतिरिक पचव के अनेक नगरों की साधारण हिन्दू और मुसलमान