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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्लीपंजाब और बीच की घटनाएँ १४७७ इतिहास लेखक के लिखता है कि 14 नम्वर पलटन के अधि कांश सिपाहियों की निपता की करमल निक्सन और सर जॉन लॉरेन्स टोनर ने अपने पत्रों में स्वीकार किया है । फिर भी इस पलटन के के छिपे और भागे हुए सिपाही जून और जुलाई के महीनों में बराबर दूर दूर से पकड़ कर लाए जाते थे और इसी प्रकार तोप के मुंह से उड़ाए जाते थे। कभी कभी और भी अधिक बीभत्स तरीकों से उनके प्राण लिए जाते थे ।’ बिप्लब के सन्देह पर उन दिनों लोगों का तोपों के मुंह से उड़ाया जाना एक साधारण बात थी, जो अनेक स्थानों पर और अनेक बार दोहराई गई । सन्देह ही पर १० नम्बर सवार पलटन के हथियार रखा लिए गए । इन सब सवारों के घोड़े उनके अपने थे । दस नम्बर पलटन ये घोड़े जब्त कर लिए गए और आठ हज़ार की सिन्ड में जल नकद रुपए भी, जो सवारों के पास निकले ले समाधि लिए गए लिखा है कि घोड़ों को बेच कर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के ख़ज़ाने में पचास हजार रुपए जमा किए गए। सिपाहियों को जबरदस्ती किश्तिों में बैठा कर खिन्धु नदी में you heard the roar of the guns, and abov4 the smoke you saw legs, arms, and heads, saying in all directions. There were lour ot these salvoes, and at each a sort ot bus ent through the whole mass of the troops, a sort of mumar of horror Since that time परe bave bad execution parades one or (एएice a week, aud such is the force of habit re now taink little of them. "-- Ibtd, w. 36. • Kaye and Matesons Hinfory of the failat istry, book vi cha, iv.