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भारत में अंगरेज़ी राज

१४७८ भारत में अंगरेज़ो राज कहीं पर भेज दिया गया । मालूम नहीं, उनका अन्त क्या हुआ। एक अंगरेज अफ़सर, जो उस समय मौजूद था, लिखता है-मुके आशा है कि बहाँ पर उनमें से हर एक माता के पुत्र को तेज़ धार में डूबने का मौका मिल जायगा 15 पेशावर और उसके पास के इलाके में क्रान्तिकारियों को या क्रान्ति के सन्देह पर लोगों को भयद्र ऋर यातनाए यातनाएँ दे देकर मारा गया, जिनके विषय में इतिहास लेखक के लिखता है "यद्यपि मेरे पास बहुत से पत्र मौजूद हैं जिनमें यह बयान किया गया है कि हमारे अफसरों ने किस तरह की वीभत्स और क्रूर यातनाएँ लोगों को पहुँचाई, फिर भी मैं उनके विषय में एक शब्द भी नहीं लिखता, ताकि यह विषय ही अब संसार के सामने न रहे थे। आष हम पेशावर से इकर जालन्धर दोआब की ओर आते हैं । जालन्धर, फ़िौर और लुधियाने की देशी जालन्धर, फ़िलौर पलटने चुपचाप, किन्तु दृढ़ता के साथ बिप्लब और लुधियाना में क्रान्ति की तैयारी कर रही थी । 8 जून को अचानक जालन्धर को फ़ौज ने श्राधी रात को क्रान्ति का एलान किया । गोरी सेना जालन्धर में मौजूद थी, किन्तु देशी ' . . . here l expect every other's son will bave chance of being drowned in the rapids." -Narrative, P. 38. • " Though I have plenty of letters with me describing the terrible and eruel ortures committed by our oficers, I do not write e word about it, 80 that this subject should be no longer before the world ! "- -Kaye's Sy Wan, book vi, chap, iv.