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भारत में अंगरेज़ी राज

११४० भारत में अंगरेज़ी राज ६ भारतवासियों को प्राचीन भारतीय साहित्य की शिक्षा देने के बिरुद्ध और उन्हें अंगरेजी भाषाअंगरेजी साहित्य और अंगरेज़ी , विशाम सिखाने के पक्ष में था। मैकॉले का निर्णय भारतवासियों के लिए हितकर रहा हो या अहितकरकिन्तु मैकॉले का उद्देश केवल यह था कि उच्च श्रेणी के भारतवासियों में राष्ट्रीयता के सावो को उत्पन्न होने से रोका जाय और उन्हें अंग्रेजी सत्ता के चलाने के लिए उपयोगी यन्त्र बनाया जाय । अपने पक्ष का समर्थन करते हुए मैकॉले ने एक स्थान पर लिखा है- हमें भारत में इस तरह की एक श्रेणी पैदा कर देने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए जी कि हमारे और उन करोड़ों भारतवासियों के बीचजिन पर हम शासन करते हैं, समझाने बुझाने का काम करे । ये लोग ऐसे होने चाहिए जो कि केवल रक्त और रन की दृष्टि से हिन्दोस्तानी हाँ, किन्तु जो अपनी रुचि, भाषा, भावों और विचारों की दृष्टि से अंगरेज़ हों ।"" गबरनर जनरल लॉर्ड विलियम बेरिट मैकॉले का बड़ा दोस्त और उसके समान विचारों का था। मैकॉले की वक्त का इस रिपोर्ट के ऊपर ७ मार्च सन् १८३ को फ़ैसला बेरिटस ने अज्ञा दे दी कि जितना धन शिक्षा के लिए मजबूर किया जाय उसका सबसे अच्छा • "We most do or best vg, form a class who rmay be interpreters between ts and the millions whom we govern : a class of persons lndian in blood and color, but Englist in tssts, in apitions, words and intelect"-- Maeaulay's Minute of 1835,