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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्लीपक्षाघ और बीच की घटनाएँ १४८ घघरा रहा था । मार्ग में २७ मई को हैज़े से करनाल में उसकी मृत्यु

  • होगई । सर हेनरी बरनार्ड उसकी जगह कमाण्डरइन-चीफ नियुक्त

हुआ । अम्बाले से दिल्ली तक की यात्रा में अंगरेजी फ़ौज ने जो जो प्रकथनीय 'प्रत्याचार किए, वे किसी अंश में. सेना के अंगरेजी के जनरल मील के अत्याचारों से कम श्रमानुषिक पनसुने आस्याचार न थे। मार्ग में असंख्य ऐसे लोगों को, जो पड़ाव से दिल्ली की घोर जा रहे थे, इस सन्देह में कि वे दिल्ली के क्रान्तिकारियों की सहायता के लिए जा रहे हैं, पकड़ पकड़ कर मार डाला गया। इन लोगों का मारना भी क्षम्य करार दिया जा सकता था । किन्तु एक अंगरेज ग्रसर जो उस यात्रा में सेना के साथ था, लिखता है कि चम्बाले से दिल्ली तक मार्ग की जनता के ऊपर अंगरेजी सत्ता का दबदबा फिर से कायम करने के लिये सैकड़ों प्रामों में हजारों ही निप ग्रामनिवासी अत्यन्त तीन यातनाएँ दे देकर मार डाले गए हैं उनक स से एक एक कर। बाल उखाड़े जाते थे, उनके शरीरों को सहीनों से धंधा जाता था। और सब से अन्त में, किन्तु मृत्यु से पहलेभाल औौर सद्दीन के के ज़रिये इन हिन्दू ग्राम निवासियों के मुंह में गाय का मांस यूंस दिया । जाता था 1 एक औोर उन्हें ये यातनाएं दी जाती थीं और दूसरी ओर उनकी आंखों क सामने फसियाँ तैयार की जाती थीं। फसियाँ के " infory tjtar Singf Delhi, by an Oficer wio served there,