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भारत में अंगरेज़ी राज

१४८८ भारत में अंगरेजी राज , . . में दुश्मन का द्वारा कर सकते हैं ! हम दुश्मन का नाश कर डालेंगे और अपने धर्म और अपने देश को, जो हमें जान से भी ज़्यादा प्यारे हैं, ख़तरे । से बचा लेंगे 48 कुछ समय बाद सम्राट की ओर से एक दूसरा एलान प्रकाशित हुआ जिसकी प्रतियाँ समस्त भारत के अन्दर, यहाँ तक कि दक्खिन के बाजारों और छावनियों में भी दायें हाथ बँटती हुई पाई गई । इस प्लान में लिखा था "तमाम हिन्दुओं और मुसलमानों के नाम —हम महज अपना धर्म समका कर जनता के साथ शामिल हुए हैं । इस मौके पर जो कोई कायरता दिखलाएगा या भोलेपन के कारण दग़ायाज़ फ़िर नियों के वादों पर एतबार करेगा, वह शीघ्र ही शरमिन्दा होगा और इनलिस्तान के साथ अपनी वफ़ादारी का उसे वैसा ही इनाम मिलेगा जैसा लखनऊ के नवाब को मिला। इसके अलावा इस बात को भी ज़रूरत है कि इस जन में तमाम हिन्दू और मुसलमान मिल कर काम करें और किसी प्रतिष्ठित नेता की हिदायों पर चल कर इस तरह का व्यवहार करें कि जिससे आमनों नामान कायम रहे और ग़रीब लोग सन्तुष्ट रहेंऔर उनका अपना रुतबा और उनकी शान बहे । जहाँ तक मुमकिन हो सकता है, सबको चाहिए कि इस एलान की नक़ल करके किसी आम जगह पर लगा दें ।x & ". एक और तीसरा प्लान बहादुरशाह की ओर से बरेली में प्रकाशित हुआ, जिसमें लिखा था ‘हिन्दोस्तान के हिन्दू और मुसलमानोउठो भाइयो उठो ! फंदा , ! - * Leckey's Fictions Expret and jrabo works.