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भारत में अंगरेज़ी राज

१४४० ' भारत में अंगरेज़ी राज दिल्ली का नगर पूरी तरह विप्नवकारियों के हाथों में था। कम्पनी की सेना ने बुन्देले की लगाय की लड़ाई . दिल्ली के निकट है के बाद दिल्ली से पश्चिम में ‘पहाड़ी’ पर क़ब्ज़ा पहाड़ी पर चंगरेज कर लिया। यह स्थान दिल्ली पर हमला करने का का के लिए वड सुविधा का था । इमले की सलाहें होती रहीं, किन्तु अंगरेज सेनापतियों को हमले का साहस न हो। सका। इस बीच दिल्ली की बिप्लबकारी सेना ने बाहर निकल कर अंगरेजी सेना पर बार बार हमले करना शुरू किया सब से पहले १२ जून को दिल्ली की सेना ने अंगरेजी सेना पर हमला किया । इतिहास लेखक के लिखता है कि उस दिन के संग्राम में कम्पनी के हिन्दोस्तान सिपाहियों का एक दस्ता, जिसकी वफ़ादारी पर अंगरेजों को पूरा विश्वास था, क्रान्तिकारियां से जा मिला। अंगरेजी सेना को काफ़ी हानि पहुँचाने के बाद दिल्ली की सेना फिर नगर के अन्दर लौट गई। इसके बाद बजाय इसके कि अंगरेजी सेना को दिल्ली में प्रवेश करने का साहस होता, प्रायः हर रोज भारतीय क्रान्तिकारी सेना प्रातःकाल शहर से निकल कर अंगरेजी पलट सेना पर हमला करती थी, और शाम तक उन्हें का नियम काफ़ी नुक़सान पहुँचा कर फिर नगर में ‘बापस चली जाती थी। दिल्ली में उन दिनों यह एक नियम था कि जो नई पलटन बाहर से दिल्ली में जाती थी वह अपने आने के अगले दिन सवेरे एक बार अंगरेजी सेना पर हमला करती थी। इन