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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्लीपंजाब और बीच की घटनाएं १४४३ बम्घ को उसकी जगह घख्त खाँ को दिल्ली की समस्त सेनाओं का प्रधान ई, Y सेनापति और दिल्ली का ‘गबरनर’ नियुक्त किया । बढ़त खाँ वास्तव ना में अत्यन्त योग्य और बीर था1 उसने सम्राट से कहा कि यदि इसके के बाद कोई शाहज़ाद भी नगर के अन्दर शासन प्रवन्ध में बाधा डालेगा, f या प्रजा के के साथ किसी प्रकार का अन्याय करेगा तो मैं तुरन्त उसके नाक कान कटवा डायूंगा। सम्राट ने स्वीकार कर लिया । बख़्त ख़ाँ की नियुक्ति का प्लान सारे शहर में कर दिया गया। बख़्त खाँ के साथ करीब चौदह हज़ार पैदलदो चत ों का शासन या तीन सवार लटन और अनेक तोप था 1 % बद अपनी सेना को छे महीने की तनखाहें पेशगी दे । चुका था। इसके अतिरिक्त उसने चार लाख रुपए नकद लाकर सम्राट की भेंट किए बख़्त खाँ ने नगर में सुशासन स्थापित किया, प्राज्ञा दे दी कि कोई नगर निवासी बिना हथियार के म रहे। जिनके पास हथियार न थे । उन्हें मुफ्त हथियार दिए गए । इसके बाद यदि कोई सिपाही विना पूरी कीमत दिप किसी से कोई वस्तु लेता था तो सिपाही का एक हाथ काट दिया जाता था। उसी दिन रात को ८ बजे महल के अन्दर सम्राट बहादुरशाह,

  • बेगम ज़ीनतमहत, सेनापति बख्त खाँ तथा अन्य मुख्य मुख्य

नेताओं में सलाह हुई । ३ जुलाई को एक नाम परेड हुई, जिसमें करीब बीस हज़ार सेनां मौजूद थी ।f

  • ‘दास्ताने गदर-लेखक ज़हीर

+ Watce Warrcties by tetcalle, D. 60