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भारत में अंगरेज़ी राज

१४४ भारत में अंगरेज़ी राज इस बीच नए नए अंगरेज़ अफ़सर और अनुभवी सेनापति पक्षाब से और अधिक सेनाएँ ला लाकर अंगरेज़ी सेना में शामिल होते गए । फिर भी प्रधान सेनापति जनरल वरनार्ड को दिल्ली की सेना पर हमला करने का साहस न हो सका। ४ जुलाई को बख़्त ख़ाँ ने अपनी सेना सहित अंगरेज़ी सेना पर हमला किया । कम्पनी की सेना को दिल्ली की दीवारों के नीचे पड़े हुए एक महीने से ऊपर हो चुका था। अनेक अफसरों कम्पनी को सैनिक के बयानों से साबित है कि अंगरेजों को विश्वास स्थिति था कि दिल्ली पहुँचने के चन्द घण्टे बाद ही हम विली पर विजय प्राप्त कर लेंगे । किन्तु अब बह विश्वास निराशा में बदलता हुआ दिखाई दे रहा था। इस निराशा में ही ५ जुलाई सन् ५७ को जनरल बरनार्ड भी हैजे से मर गया। जनरल रीड ने उसका स्थान लिया इस प्रकार क्रान्ति के शुरू होने से अब तक कम्पनी के दो कमाण्डरइनचीफ़ मर चुके थे । जनरल रीड तीसरा था, किन्तु अभी तक दिल्ली विजय न हुई थी। दिल्ली की सेना के हमले अंगरेजी सेना पर बराबर जारी रहे । 8 जुलाई को बढ़त खाँ के अधीन दिल्ली की सेना अंगरेजी सेना की । जैन की ने इतना जबरदस्त हमला किया कि अंगरेज़ी सेना के सवारों को सामने से भाग जाना पड़ा और अंगरेज़ी तोप के मुंह बन्द हो गए । अनेक अंगरेज़ अफसर मारे गए 1 इतिहास लेखक के लिखता है कि उस दिन को हार पर अंगरेज सिपाहो इतने लज्जित और कुपित हुए कि उन्होंने अपने पराजय