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भारत में अंगरेज़ी राज


थी । भरतपुर के राजा ने अपनी सेना अंगरेजों की सहायता के लिए भेजी। ऐन मौके पर भरतपुर की सेना ने साफ़ जबाब , 'दे दिया कि हम अपने देशवासियों के विरुद्ध म लड़ेंगे। जनरल 'पॉलवेल की गोरी सेना और क्रान्तिकारियों में एक संग्राम हुआ, जिसमें दिन भर की लड़ाई के बाढे गोरी सेना को हार कर पीछे हट जाना पड़ा। ६ जुलाई को नगर के मगर के ऊपर हरा झण्डा फहराने लगा । उसी दिन बहाँ का शहर कोतवालसमस्त पुलिस और हिन्दू और मुसलमानों ने मिल कर हरे झण्डे का एक 'बहुत बड़ा जुलूस निकाला और एलान कर दिया कि श्रा से ! नागरे के ऊपर अंगरेजी राज के स्थान पर दिल्ली के सम्राट का याधिपत्य फिर से कायम होगग्रा । किन्तु इन भारतीय मरेशों की उस समय की अनिश्चितता ने निस्सन्ट्रेस बिप्लब को बहुत हानि पहुँचाई । अब हम फिर कानपुर और इलाहाबाद की ओर जाते हैं। इलाहाबाद के शहर और किले पर अंगरेजों का इलाहाबाद में क़ब्ज़ा फिर से हो चुका था । उतरी भारत में अंगरेजों की राजधानी क्रान्ति को दमन करने की दृष्टि से इलाहाबाद अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान था । इसलिए लॉर्ड के कैनिर्दू अब कलकत्से से इलाहाबाद आया गया । क्रान्ति के शान्त हो जाने के समय तक के लिए उसने इलाहाबाद ही को अपनी राजधानी नियत किया । निम्न स्तर कनएन के प्रशं* औी रीतों का सामान ।