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१५०४
भारत में अंगरेज़ी राज

१५०४ भारत में अंगरेज़ी राज कलकते के ब्लैकहोल के सर्वथा झूठे किस्से का वर्णन इतिहास की असंख्य पुस्तकों में पाया जाता है, और कलकत्ते में ब्लैकहोल की जगह तक बनी हुई है। इससे पता चलता है कि कानपुर में का होना जरूरी तौर पर यह साबित नहीं करता कि यह घटना सर्वथा सच्ची है । इङलिस्तान की पार्लिमेण्ट का एक सदस्य लेयॉर्ड इस तरह की अनेक घटना की जाँच करने के लिए स्वयं उन्हीं दिनों में भारत आया। अपनी जाँच के बाद लेयॉर्ड लिखता है निहायत गौर के साथ जच पड़ताल करने के बाद, अच्छे से अच्छे और सबसे अधिक विश्वसनीय रियों से जो सूचनाएँ मुझे मिली हैं, उनसे मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि जो अनेक भयहर नस्याचार कहा जाता है। कि वेहलीकानपुर, झाँसी तथा ग्रन्य स्थानों पर अंगरेज़ स्त्रियों और बच्चों पर किए गए, वे प्रायः एक एक कर सत्र के सय कल्पित हैं, जिनके गहने वालों को कब्जा नानी चाहिए ।’ श्रन्य निष्पक्ष अंगरेजों के इससे भी अधिक जोरदार बाक्य इस कथन के समर्थन में उद्धृत किए जा सकते हैं । जाहिर है कि in the hope of adding to the indignation and burnin desir for vengeance hich hatred failed to arouse. "Russelr's Diary, p. 164. • rom the information t received from the very best and most trustworthy sources, after the mos: careful inquiries, I am convinced that the series of borrible cruclties alleged to have been committed upon English women and children at Delhi, Caphpore, Jhansi and elsewhere were almost without exception shameful fabrications, . . . "- Mr. Layard M. P, in

Tak Tiniss, 25th August, 1858