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१५०५
दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पजाब और बीच की घटनाएँ १५०५ बीबीगढ़ के हत्याकाण्ड की सच्चाई पर विश्वास नहीं किया जा सकता। साथ ही अभी तक यह कइ स कना भी कठिन है कि इस किस्से की जड़ में सच्चाई क्या और कितनी थी । इस विषय में अभी बहुत अधिक निष्प खोज की नाबश्यकता है। हम यह भी जानते हैं कि यदि कानपुर में १२५ अंगरेज औरतों और बच्चों को निर्दोष मार डाला गया तो जनरल नील ने अपने बयान के अनुसार ही कम से कम हजारों भारतीय स्त्रियों और बच्चों को जिन्दा जला दिया । किन्तु एक अत्याचार दूसरे प्रत्याचार को जायज नहीं बना सकता । यदि वीवीगढ़ के इत्याकाण्ड में कुछ भी सच्चाई है, अगर यह घटना किसी दर्जे तक भी सच्ची है और जिस दरजे तक भी वह सच्ची है, ! इसमें कोई सन्देह नहीं क्रान्तिकारियों के नाम पर यह एक बहुत बड़ा करता है। एक प्रश्न इस सम्बन्ध में यह भी उठता है कि यदि वीवीगढ़ की हत्या का किस्सा सच है, तब भी उसके माम की लिए नाना साहब को कहाँ तक जिम्मेदार ज़िम्मेदारी ठहराया जा सकता है । सर जॉर्ज फ़ॉरेस्ट लिखता है

  • गवाहियों से यह साबित होता है कि जो सिपाहो इन कैदियों के

ऊपर पहरा दे रहे थे उन्होंने उनकी हत्या करने से इनकार कर दिया । यह गम्दा में एक वेश्या के उकसाने पर नाना की गारद के पाँच बदमाशों ने