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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पजाब और बीच की घटनाएँ । १५०8 अनेक ब्राह्मणों को लाकर जिन पर ‘सन्देह था’ कि उन्होंने बिप्सव 7 में भाग लिया है, उन्हें उस खून को जयाम से चाटने और फिर झाडू से धोकर साफ़ करने की आशा दी गई । इसके बाद इन लोगों को फाँसी दे दी गई । उस समय के अंगरेज अफसर ने इस अनोखे दण्ड का कारण इस प्रकार बयान किया है "मैं जानता हूँ कि तिरक्षियों के ट्रेन को छूने और फिर उसे मेहतर की झाडू से साफ़ करने से एक उच्च जाति का हिन्दू अपने धर्म से पतित हो जाता है। केवल इतना ही नहीं, बल्कि चूंकि मैं यह जानता इसीलिए मैं उनसे ऐसा करता हूँ । जब तक हम उन्हें फांसी देने से पहले उनके समस्त धार्मिक भावों को पैरों तले न कुचलेंगेतब तक हम पूरा बदला नहीं ले सकते, ताकि उन्हें यह सम्तोप न हो सके कि हम हिन्दू धर्म पर कायम रहते हुए मरे । सतीचौरा घाट पर जिन अंगरेजों की हत्या की गई थी उन्हें कम से कम मरने से पहले इश्झील का पाठ करने की इजाजत दे दी गई थी ! इसके थोड़े ही दिनों बाद और कुछ सेगा लेकर जनरल नील कानपुर पहुँचा हैवलॉक अब दो हजार अंगरेजी आगे का कार्यक्रम की कार्यम सेना और दस तोपों सहित २५ जुलाई को • "1 know that the act of touching Feringhi blood and washing it एwith a sweoper's broom degrades a high caste Hindoo from his religion. Not only this but I make them do it because 1 know it. Se could not Treak a true revenge unless we trample all their religious instincts under 1oot, helore we hang themso that they may not have the satisfaction o! dying a s Hindoos, ""-bid.