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१५१०
भारत में अंगरेज़ी राज

१५१० भारत में अंगरेज़ी राज कानपुर से लखनऊ की ओर बढ़ा। जनरल नील कानपुर की रक्षा ! के लिए रहा। नाना अब विर छोड़ कर अपने ख़ज़ाने और कुछ सेना सहित गढ़ा पार कर फतहगढ़ की ओर चला गया। माना औौर हैबलॉक को कुछ देर के लिये यहीं छोड़ कर अब हम फिर राजधानी दिल्ली की और चलते हैं। पंजाब का किन्तु दिल्ली के आगे के संग्रामों को वर्णन लैकहोत करने से पहले पजाब की एक छोटी सी घटना को बयान कर देना आवश्यक है, जिससे मालूम होगा कि दिल्ली। के मोहासरे के दिन में पक्षावि को खंडराने और उन पर अपनी धाक कायम रखने" 8 के लिए पड़ाव के अंगरेज शासकों ने किस | किस तरह के उपाय किए । मई के महीने में लाहोर के अन्दर चार देशी पलटनों के हथियार रखाए जा चुके थे । इन लोगों पर विों और २६ नम्प्रर की गोरों का पहरा था और इन्हें छावनी से बाहर जाने की इजाज़त न थी1 ३० जुलाई की रात को इनमें से २६ मनम्वर पलटन के अधिकांश सिपाही छावनी से चल दिए। इन लोगों के पास न हथियार थे और म इन्होंने किसी । तरह के विद्रोह में भाग लिया था। अगले दिन उन्होंने राबी पार करके निकल जाना चाहा। उन्हें रोका गया परन्तु वे राबी के पलटन

• " Overa wing " and " striking terror into, "-10 Crisis in th ? PItaja, pp151-52