पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४६

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भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश ११४ । कम हो जाती है और अंगरेज़ियस अधिक था जाती है ।x ” फिर बजाय T इसके कि वे हमारे तीन विरोधी हों, ग्रा यदि हमारे अनुयायी भी हों तो उनके हृदय में हमारी ओोर क्रोध भरा रहे, वे हमारे होशियार औौर उरसाही मददगार बन जाते हैं ।x & K फिर वे हमें अपने देश से बाहर निक्षतने के प्रचण्ड उपाय सोचना बन्द कर देते हैं, x x x । ' x x जय तक हिन्दोस्तानियों को अपनी पहली स्वाधीनता केः विषय में सोचने का मौका मिलता रहेगा, तब तक उनके सामने अपनी दशा सुधारने का एक मात्र उपाय यह रहेगा कि वे अंगरेज़ों को तुरन्त देश से निकाल कर बाहर कर दें । पुराने तर्क के भारतीय देशभक्तों के सामने इसके सिवा और कोई उपाय नहीं है;& ” उनके राष्ट्रीय विचारों को दूसरी चोर मोड़ने का केवल एक ही उपाय है । वह यह कि उनके चन्दर पाश्चात्य विचार पैदा कर दिए जायें । जो युवक हमारे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ते । वे उस प्रसभ्य स्वेच्छ शासन को, जिसके अधीन उनके पूर्व में रहा करते थे, घृणा की दृष्टि से देखने लगते हैं, और फिर अपनी राष्ट्रीय संस्थाओं को ' अंगरेजो उन पर ढालने की माशा करने लगते हैं18 x 8 बजाय इसके कि उनके दिलों में यही विचार संथ से ऊपर हो कि हम अंगरेज़ों को निकाल कर सदन में फेंक दें, वे इसके विपरीत आय उजाति का कोई ऐसा विचार तक नहीं कर सकते जो उनके ऊपर अंगरेजी राज को रिघट लगा कर नौर भी प्रधिक पक्का न कर दे, और जिसके द्वारा वे अंगरेजों की शिक्षा और अंगरेज़' की रक्षा पर सर्वथा निर्भर न हो जायूँ । x

  • x हमारे पास उपाथ केवल यह है कि हम भारतवासियों को।