पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५२४
भारत में अंगरेज़ी राज

१५२४ भारत में अंगरेज़ी राज दूसरे कप्तान परगेस ने मरते मरते लीता दिखा दिया। काशमीरी दरवाज़े का एक भांग उड़ गया। करनल कैम्पबेरत ने अपने दल को आगे बढ़ने की आज्ञा दी और गोलियों की बौछार में से बढ़ कर कैम्पबेल और उसके कुछ साथी काशमीरी के अन्दर दरवाज़ पहुंच गए । चौथे दल ने मेजर रीड के अधीन काबुली दरवाजे की ओर से घढ़ना चाहा । सब्जी मण्डी के निकट दिल्ली की सेना से उनका आमना सामना हुआ। पहले ही बार में मेजर रीड घायल होकर गिर पड़ा। एक बार उसकी सेना पीछे हटी 1 इस पर होप प्रॉएट कुछ सवारों सहित ग्रागे बढ़ा। दोनों ओर से रक्त की नदियाँ बहने लगीं । होप ग्रॉण्ट के अधिकतर सवार हिन्दोस्तानी थे। संग्राम में दोनों पक्ष के सिपाहियों ने पूर्व वीरता का परिचय दिया। अन्त में अंगरेज़ी सेना को फिर पीछे हट जाना पड़ा। चौथे दल ने इस प्रकार हार खाई शेष तीनों दलों ने निकल्सन, कैम्पबेल और जोन्स के अधीन काशमीरी दरवाजे से घुस कर शहर पर धावा किया। जिस जिस मकान या मीनार को ये लोग सर कर लेते थे उस पर तुरन्त सूचना के लिए अंगरेज़ी झण्डा गाड़ देते थे। पक एक मकान के सामने संग्राम होता जाता था । इस प्रकार लड़ते लड़ते ये तीनों दल काबुली दरवाजे की ओर बढ़ । वर्न वैस्टियन के पास पहुंच कर इन लोगों को एक तस गली में से निकलना पड़ा। इस गली के दोनों ओर की अमर गली खिड़कियों, छज्जों और छतों पर से गोलियों की