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भारत में अंगरेज़ी राज

१५२६ भारत में अंडे गरेज़ी राज सेना ने उन पर बन्दूकों की एक बाढ़ चलाई । उनमें से दो सौ जामियाँ की लाशें तुरन्त मसजिद की सीढ़ियों पर गिर पड़ीं । 5 किन्तु शेष मुसलमान इस फुरती के साथ तलवारें हाथ में लिए आगे बढ़े कि अंगरेज़ी सेना को दोबारा बन्दूकें भरने या सँभालने तक का अवकाश न मिल सका । बन्दूकों को छोड़ कर दोनों और से तलवारों की लड़ाई शुरू हो गई। कैम्पबेल घायल हो गया । अंगरेजी सेना के इस दल को भी विवश होकर काशमीरी दरबाबू की ओर भाग श्राना पड़ा। कैम्पबेल ने बाद में याद किया कि यदि मुझे समय पर सहायता पहुंच जाती और वारूद के थैले मेरे पास श्रा जाते तो मैं उस दिन दिल्ली की जामे मसजिद को अवश्य उड़ा देता। इस प्रकार १४ सितम्बर की लड़ाई खत्म हो गई। दिल्ली में अंगरेजी सेना के प्रवेश का यह पहला दिन था। उस दिन के संग्राम अत्यन्त भयकर रहा । दोनों पक्षों ने एक एक प्रत्व भूमि के लिए ओपने और शत्रु दोन 3 के रत को पानी की तरह बहा दिया। अंगरेजों की ओोर चार मुख्य सेनापतियों में से तीन घायल हो गएजिनमें सब से बीर सेनापति निकल्सन २३ सितम्बर को अस्पताल में मरा । कम्पनी के ६६ अफ़सर और १,१०४ सिपाही उस दिन के संग्राम में मारे गए। कहा जाता है कि क्रान्तिकारियाँ की ओर करीब १,५०० आदमी मरे। किन्तु चार महीने के मोहासरे के बाद दिल्ली की दीवार के अन्दर कम्पनी की सेना ने प्रवेश कर लिया। हताहत