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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजो राज 9 दूसरी और विश्वासघातक मिरज़ा इलाहीबख्श ने पश्चिमी दबाज़े से बाहर निकल कर तुरन्त अंगरेज़ को सम्राट बहादुरशा छूचना दी कि इसी समय चुपके से पश्चिमी की गिरफ़्तारी दरवाजे पर जाकर बहादुरशाह को गिरफ्तार कर लिया जाय। तुरन्त कप्तान हडसन पचास सवार लेकर सतघरे के पश्चिमी दरवाजे पर पहुँच गया । लिखा है कि जिस समय बहादुरशाह को मालूम हुआ कि हडसन मुझे गिरफ्तार करने श्राया है, उसने एक बार मिरज़ा इलाहोवर्ड्स की ओर घूर कर देखा और कहा-‘तुमने मुझको बख़्त ख़ाँ के साथ जाने से रोका x ।’ इलाहाबख्श सर झुकाए चुपचाप खड़ा रहा। यह भी लिखा है कि बहादुरशाह ने फिर इरादा किया कि किसी को भेज कर बख़्त वर्षों को बुलाया जायकिन्तु समय हाथ से निकल चुका था । सम्राट बहादुरशाह, बेगम जीनतमहल और शहजादे जवाख्त को चुपचाप पूर्वी दरवाजे से गिरफ्तार करके नगर हुआ। पर पूरा लाल किले में लाकर तैद कर दिया गया, और दिल्ली का नगर १३४ दिन के कठिन परिश्रम के बाद फिर से पूरी तरह अंगरेजों के क़ब्ज़े में श्रा गया । इसके बाद बढ़त हाँ अपनी समस्त सेना सहित जमना को पार कर किसी ओर निकल गया और आज चत्त का लों अन्त तक किसी को उसका या उसकी सेना का पता न चल सकी ।