पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४८

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भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश १९४७ ऐग्रीकोला की यह नीति कितनी सफल साबित हुई । यहाँ तक कि जो ) अंगरेज़ पहले रोमन लोगों के कट्टर शत्रु थे वे शीघ्र ही उनके विश्वासपात्र’ गौर उनके वफ़ादार मित्र बन गयेऔौर उन अंगरेजों के पूर्वजों ने जितने प्रयत्त अपने देश पर रोमन लोगों के हमले को रोकने के लिए किए थे। उससे कहीं अधिक ज़ोरदार प्रया अब उनके वंशज रोमन लोगों को अपने यहीं कायम रखने के लिए करने लगे । हमारे पास रोमा लोगों से कहीं अधिक बढ़ कर उपाय मौजूद हैं, इसलिए हमारे लिए यह शर्म की बात होगी यदि हम भी रोमन लोगों की तरह भारतवासियों के चित्रों में यह भय उत्पन्न न कर दें कि यदि हम जल्दी से देश से निकल गए तो तुम लोगों पर भयंकर नापत्ति आ जायगी ।x x 'ये विचार मैंने केवल अपने दिमाग से सोच कर ही नहीं निकाले घर स्वयं अनुभव करके और देख भाल कर मुझे इन नतीजों पर पहुँचना पड़ा । मैंने कई वर्ष हिन्दोस्तान के ऐसे हिस्सों में बिताए जहाँ हमारा राज अभी नया नया जमा था, जहाँ पर कि हमने लोगों के भावों को दूसरी ओर मोड़ने की भी कोई कोशिश भी नहीं की थी, और जहाँ पर कि उनके राष्ट्रीय विचारों में अभी कोई परिवर्तन नहीं हुआ था । डन प्रान्तों में है / छोटे और बड़ेधनी और दरिठ, सब लोगों कसामने केवल अपनी राजनैतिक दशा सुधारने की ही एक मात्र चिन्ता थी । उच्च श्रेणी के लोग के दिलों में यह आशा बनी हुई थी कि हम फिर से अपने प्राचीन प्रभुत्व को प्राप्त कर लें : प्रौर निम्न श्रेणी के लोगों में यह आशा बनी हुई थी कि यदि देशी राज फिर से स्थापित हो गया तो धन और वैभव प्राप्त करने के