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१५३३
दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्लीपक्षाघ और बीच की घटनाएँ १५३३ इनमें एक शहज़ादा अबदुल्ला भी था । दूसरी मुख्य बात यह है कि - हडसन ने शहज़ार्यों को मार कर तुरन्त अपने कुल्लू में भरकर उनका गरम गरम खून पिया और पीकर यह कहा कि यदि मैं इनका खून न पीता तो पागल हो जाता । यह रिवायत किसी अंगरेज़ी इतिहास में नहीं मिलती। किन्तु ग़ाज़ा हसम निज़ामी ने इसे अपनी उर्दू पुस्तक देहली की जफनी' में दर्ज किया है। एयाज्ञा साहब का दावा है कि यह घटना बिलकुल सच्ची है । राज़ा हसन निज़ामी का बयान है "ने दिल्ली के सैकड़ों लोगों के मुंह से इस बात को सुना और इसके अलावा मिरज़ा इलाहीबख्श क उन दो खास मुसाड़ियों में से एक ने, जो मौके पर मौजूद थे और जिन्होंने इस घटना को अपनी आंखों से देखा था, खुद मेरे पिता से जाकर यह तमाम वाक़या सुनाया 8 अब हमारे लिए केवल कम्पनी के कर्जे के बाद दिल्ली निवा सियों के ऊपर कम्पनी की सेना के के श्रत्याचारों घायलों की हत्या को संक्षेप में वर्णन करना बाकी रह गया है । इन श्रत्याचारों के विषय में लॉर्ड पलफिन्सटन मे सर जॉन लॉरेन्स को लिखा : ‘मोहासरों के घेरम होने के बाद से हमारी सेना ने जो प्रत्याचार किए हैं उन्हें सुन कर हदय फटने लगता है । बिना मिग्न या रायु में भेद किए ये

  • ‘देहली की जाँकनी’—बेखक वाज़ा हसन निज़ामी 1 पृष्ट ५२-१३