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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

। दिल्ली, पक्षाघ और बीच की घटनाएँ . १५३५ इसके बाद एक दूसरा ग्रंगरेज़ इतिहास लेखक लिखता है :

  • दिल्ली के याशिों के तरलेनाम का खुले एलान कर दिया गया,

यद्यपि हम जानते थे कि उनमें से बहुत से हमारी विजय चाहते हैं।" ' इस भयकुर हत्याकाण्ड के दिन में केवल एक दूिम के दृश्य को बयाम करते हुए लड राबर्ट्स लिखता है : एक दिन का दृश्य “हम सुयह को लाहौरी दरवाजे से चाँदनी चौक गए, तो हमें शहर वाक्य में सुरों का शहर नफ़र प्राता था । कोई धावा सिवाय हमारे घोड़ों की टों के सुनाई नहीं देखी थी । कोई जीवित मनुष्य गज़र नहीं आया । सब पर मुरों का बिछौना बिछा हुआ था, जिनमें से कुछ मरने से पहले पढ़े सिसक रहे थे । “हम चलते हुए यहुत धीरे धीरे बात करते थे, इस डर से कि कहीं हमारी आवाज़ से परदे न चौंक पड़े । * एक शोर सुरों की लाश को कुत्ते खा रहे थे औौर दूसरी घोर लाशों के आस पास गिद जमा थे जो उनके मांस को नोच नोच कर स्वाद से खा रहे थे और हमारे चलने की माया से उद उट कर थोड़ी दूर जा बैठते थे” x । ‘सारांश यष्ठ कि इन सुरों की हालत ययान नहीं हो सकती। जिस प्रकार हमें इनके देखने से डर लगता था उसी प्रकार हमारे घोटू इन्हें देख suppose, when 1 telt you that in sone houses forty or ffty persons were hiding, Those were not rmatineers, but resident of the city, who trusted to our well-known mild rule for pardon, t a m gad to say they were diz. appointed, "-Letter n the Borday Tiwajt, tby Montgomery Martin. • " A general massacre of the inhabilants Lof Delhi, a large number of whom were known to ish us success, was epenly proclaimed, ". -The । Chaplains Narratipt th Stzgy w Delhi, quoted by Kaye, 8७