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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ १५३६ 6 किवाड़ और उनके अन्दर का लोहा और पीतल कोई चीज़ तक, नहीं छोड़ी। ाजा हसन निज़ामी ने लिखा है : करनल बर्न को शहर का फ़ॉक्षी गवरनर नियुक्त किया गया । उसने एक दस्ता हैौज का इस काम के लिए नियुक्त किया कि जहों कहीं प्राबादी पाश्रो, , गौरव और बच्चों को घरों के आंसबाब सहित गिरफ्तार करके ले आानो । भागे भागे मई असबाब के गट्ठर सर पर रखे हुए, पीछे पीछे उनकी औरतें रोती हुई, पैदत और बच्चों को साथ लिए हुए । जिन औरतों को कभी पैदल चलने की प्रादत न थी वे ठोकरें खा खा कर गिरती थीं, बच्चे गोद से गिरे जाते थे औौर सिपाही क्रूरता के साथ उन्हें धागे चल ने के लिए धeके देते थे। जब ये लोग करनत बर्न के सामने पेश होते तो हुकुम दिया जाता म िअसबाब में जितनी कीमती चीजें हैं, उन्हें कर ज़ब्त कर लो, व्यर्थ चीजें वापस'दे दो । यह हो चुकने पर दूसरा हुकुम यह दिया जाता कि इनको सिपाहियों की देख रेख में लाहौरी दरवाजे तक ले जाओो गौर शहर से बाहर निकाल दो । ऐसा ही किया जाता और वे लोग लाहौरी दरवाजे के बाहर धक्के देकर निकाल दिए जाते । ' "विष्वी शहर के बाहर इस प्रकार हज़ारों मर्द2ौरतें और यरवे असहायनके पाँव, न सरभूखे प्यासे फिर रहे थे।” सैकड़ों यथ्चे भूख भूख चिलाते हुए माताओं को गोद में मर गए । सैकड़ों माताएँ छोटे यों का दुख न देख सकने के कारण उन्हें अकेला छोड़ कर कुएँ में हुये मरीं । ‘नगर के अन्दर हज़ारों औौरतें ऐसी थीं कि जिस समय उन्होंने सुन