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भारत में अंगरेज़ी राज

१४० भारत में अंगरेजी राज कि कम्पनी की फ़ौज आाती है तो बेइङलती और मुसीबतों से बचने के लिए कुओं में गिरने लगीं और इतनी अधिक गि कि डूबने को पानी न रहा । घने कुएँ चोरों की कार्यों से भर गए। ‘सेना के एक अफसर का बयान है कि‘हमने इस प्रकार की सैकड़ों गौरतों को कुओं से निकाला जो लाशों के ढेर के कारण दूबी न थीं और जिन्दा पड़ी थीं या बैठी थीं । जिस समय हमने उन्हें निकालना चाहा वे चीनने लगीं कि खुदा के लिए हमको हाथ न लगा प्रो गौर गोली से मार डालोहम शरीफ़ बहू बेटियों हैं, हमारी इज्ज्त वराय न करो ।’’ ईं । दिल्ली की स्त्रियों का यह डर, कि कहीं हमारी इज्ज़त पर हमला न किया जाय, बेबुनियाद न था। फ़रशढ़ाने के किसी कुएँ में दो औरतें तिन्ध्रा निकाली गई। एक जब भ, किन्तु श्रन्धी औौर दूसरी दिया । वृदिया ने बयान किया कि मेरे एक ही बेटा था, उसे घर में घुस कर फ़रत कर दिया गयाजय वह सुरक्षित में किया जा रहा था, कुछ सिपाहियों ने उसकी आधी यहिन के सतीश्व पर हमला करना चाहा, किन्तु वह अपने घर के कुएं से परिचित थी, दौढ़ कर उसमें गिर पड़ीउसके साथ ही मैं भी कुएं में कूद पड़ी। हम दोनों पानी में गोते खा रहे थे कि किसी ने अन्दर आकर हमें निकाल लिया ।” “दिल्ली में ऐसे भी लोग थे जिनके घर की खियों की प्रायरू पर जिस समय हमला होने लगा तो उन्होंने अपने हाथ से अपनी बहुओं और अपनी बेटियों को कर और फिर स्वयं आश्महत्या कर ली प्रेरित दिया !

  • पूक पुस्तक, नष्ट ६७