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१५४१
दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पक्षाघ और बीच की घटनाएँ . १५४१ दिल्ली निवासियों के धार्मिक भावों को जिस प्रकार श्राघात पहुँचाया गया उसके विषय में ख्वाजा हसन मन्दिरों और निज़ामी लिखता है मसजिद्रों की 'गरेजी सेना के मुसलमान सिपाही हिन्दुओं के बेइज्जती । मन्दिरों में घुस गए और उनको अरथ कर डाला और हिन्दूसिपाहियों ने मसजिों को ट्राय किया । क्रिकी की बढ़ी जाने मसजिद में सिग्न सिपाहियों की बारग बनाई गई । पाट्राने और पिशाय पाने भी इसी के अन्षर थे । मोनारों के नीचे इन्धे पकाए जाते थे और सुअर भी काट कर पकाए जाते थे 1 अंगरेजों के साथ के कुत्ते प्रन्द्र पढ़े फिरते थे । एक मसजिद जीनतुलमसाजिद को गोरों का मिसकट घर बनाया गया थाँर नबाथ हामिदनलती न की मशहूर मसजिद में गधे बचे जाते थे : जिले के नीचे एक बड़ी चालीशान मसजिद अकबराबादी थी जो गिरा कर चितकुत जमीन के बराबर कर दी गई । इसी तरह और बहुत सी छोटी छोटी मसजिदों का खात्मा हुथा फिर नए सिरे से दिल्ली प्रवाद हुई। पहले कुछ हिन्दुर्राओं से भारी जुर्माने से लेकर उन्हें मोहल्लों में बसने की विएनी नए सिरे इजाजत दी गई। उसके बाद मार्च सन् २५ से नाबाद में मुसलमानों को पास से लेकर नगर में बसने की इजाजत मिली । फिर भी सन् १८५७ तक मुसलमानों के खास मकान सरकारी जूती में थे और मुसलमान लोग शहर के अंदर बिना किसी अफसर के पास के चल फिर न सकते थे । & पुक्ति पुस्तक, पुष्ट १४