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भारत में अंगरेज़ी राज

१४२ भारत में अंगरेजी राज दिली का हाल ख़त्म करने से पहले श्रव केवल एक चीज़ को. बयान करना औौर बाकी है । वह यह कि दिल्ली दिल्ली के राजकुल के राजकुल का अर्थात् सम्रांट बाबर और सम्राट का अन्त प्रकघर के वंशजों का किस प्रकार प्रन्त हुआ । क्रान्ति के शुरू में दिल्ली के लाल किले के अन्दर सम्राट बहादुरशाह के कुटुम्बियों की एक बहुत बड़ी संख्या थी । इनमें से अनेक शहजादों को पकड़ कर फाँसी पर लटका दिया गया 1 उदाहरण के लिए शहजादे मिरजा कैंसर को, जो सम्राट शाहश्रालभ का एक , बेटा था औौर इतना बूढ़ा था कि क्रान्ति में कोई हिस्सा लेना उसके लिए असम्भव था, फाँसी दे दी गई । शहजादे मिरजा मोहम्मद शाह को, जो सम्राट अकबरशाह का पोता था और आजीवन गठिया का रोगी रहने के कारण सीधा खड़ा तक न हो सकता था, इसी प्रकार फाँसी पर लटका दिया गया। कुछ शहज़ादों को जेलखाने में रखा गया, उनसे चक्कियाँ पिसवाई गई । जब वे अपना काम पूरा न कर सकतेउन पर कोड़ों की मार पड़ती थी। यहाँ तक कि वे बेचारे थोड़े ही दिनों में मार खा खाकर जीवन की कैद से मुक्क हो गए । बहादुरशाद का एक बेटा मिरज़ा खोयाश एक दिन दिल्ली के पास के जहूल में घोड़े पर सवार खड़ा दिखाई । दियासर पर टोपी न थी और चेहरे पर धूल पड़ी हुई थी, हडसन उसकी तलाश में घूम रहा था, उसके बाद आज तक पता न चला कि मिरजा खोयाश का क्या हुआ ।. नेक शहज़और शहजादियाँ दिल्ली से बाहर दबद्रर मते फिरते थे । बहादुरशाह की एक बेटी