पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५४५
अवध और बिहार

अवध और बिहार १४५ बेगम हज़रतमहल की प्रशंसा करते हुए रसल लिखता है “बेगम में यही पराक्रमशीलता और योग्यता दिखाई देती है । x बेगम ने हमारे साथ अनरवत युद्ध का एलान कर दिया है । इन रानियाँ और बेगों की पराक्रमशीलता को देख कर मालूम होता है कि शामान ख़ानों के अन्दर रह कर भी ये काफ़ी अधिक क्रियात्मक मानसिक शक्ति अपने आन्द्र पैदा कर लेती हैं ।’’ बेगम ने सबसे पहले नबाव विरजीत पुत्र की ओर से प्रबध की स्वाधीनता का शुभ सन्देशन अनेक उपहारों सहित सम्राट बहादुरशाह की सेवा में दिल्ली भेजता, इसके बाद उसने राजा बालकृष्ण सिंह को अपना प्रधान मन्त्री नियुक्त किया और उस कठिन समय में राज के समस्त सोहकमों की नये सिरे से व्यवस्थr फर एक बार समस्त प्रबध में शान्ति और सुशासन स्थापित कर दिया। ऊपर लिखा जा चुका है कि अवध के अंगरेज़ और यहाँ का अंगरेज़ी राज उस समय लखनऊ की रेज़िडेन्सी तखमक फो के श्रन्दर ठंद किया जा चुका था। रेज़िडेन्सी रेज़िडेन्सी के बाहर समस्त अवध में कम्पनी की सत्ता का । कोई चिह बाफ़ी न रहा था। रेजिडेन्सी का मोहासरा जारी था। २० जुलाई सन् १८५७ को लखनऊ की क्रान्तिकारी सेना ने

  • " The Began exhibits great energy and ability . . . The Begu।

declares undying far against us. It appears from the eneretie characters of these Ranees and Begums that they acquire in their Zenanas and Harems A considerable amount ol actual mental prer - - - "-Russell's Diary p, 275.