पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५

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की तय्यारी-पार्लिमेण्ट के काग़ज़ों में जालसाज़ी—अपहरण नीति-अफ़ग़ानिस्तान पर चढ़ाई-सिन्ध के अमीरों के साथ नई सन्धि-सिन्धी प्रजा पर लूट और अत्याचार-काबुल पर क़ब्जा़-अफ़ग़ानिस्तान की परिस्थिति-गुप्त हत्याओं का प्रबन्ध--अंगरेज़ों की घृणित पाशविक वृत्तियाँ—अफ़ग़ान चरित्र-शाहशुजा का वध-बर्न्स की हत्या-मैकनाटन की हत्या-सोलह हजार की सेना का अवशेष-लार्ड एलेनब्रु–एलेनब्रु के विचार-झूठे एलान-मुसलमानों का शत्रु-सोमनाथ का फाटक और युद्ध का अन्त-अफ़ग़ान युद्ध का ख़ामियाज़ा-दोबारा चढ़ाई-युद्ध का अन्त|

पृष्ठ ११५९-११८९

अड़तीसवाँ अध्याय
सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध की राजनैतिक स्थिति-कम्पनी की कोठी और ठट्ठे का पतन-कम्पनी को व्यापारिक सुविधाएं-सिन्ध में कम्पनी का एलची-सन् १८०९ की सन्धि-सन् १८२० की सन्धि—बर्न्स की सिन्धु यात्रा-अमीरों से ख़िराज़ की माँग-मीर रुस्तम ख़ाँ-रुस्तम ख़ाँ के साथ नई सन्धि-मीर अली मुराद-सिन्ध पर क़ब्ज़ा करने के मुख्य कारण-साज़िश पक्की करना-रुस्तमख़ाँ पर झूठे इलज़ाम-हैदराबाद के अमीर —मियानी का संग्राम-बलूचियों की वीरता—अंगरेज़ों की विजय का रहस्य-जनान ख़ानों पर हमला-सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़-अमीरों का शोक जनक