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भारत में अंगरेज़ी राज

१५५६ भारत में अंगरेज़ी राज किन्तु जनरल ग्रेटहेड ने दिल्ली से कानपुर तक की यात्रा में मार्ग के समस्त ग्रामों को जलाने और निर्दोष जनता के संहार ? करने में जनरल नील को भी सात कर दिया । इस ओर से उस ओोर तक उसकी सेना ने ग्रामवासियों का पशुओं की तरह शिकार किया । इससे अधिक हमें उस दुःखकर वृत्तान्त को विस्तार देने की आवश्यकता नहीं है। सव से पहले जनरत ग्रॉण्ष्ट इस नई विशाल सेना सहित अहमबाग पहुँचा, कानपुर और कालपी के बीच श्रामबाण के लिये म नाना साहब के प्रयल प्रभी जारी थे जिन्हें नई अंगरेज़ी सना श्री चत कर बयान किया जायगा, इसलिए कैम्पबेल ने कुछ गोरी और कुछ सिख सेना तोपाँ सहित विनढम के अधीन कानपुर की रक्षा के लिए छोड़ दी और स्वयं जनरल प्रॉएट के पीछे पीछे गढ़ा पार कर 8 नवम्बर को आलमबाग पहुँच के गया 1 रेज़िडेन्सी के कैदी अंगरेजों के साथ पत्र व्यवहार तक इस समय असम्भव था । कैम्पबेल ने कैवेना नामक आहूज़ गुलचर एक अंगरेज का काला मुंह रद्द कर उसे हिन्दोस्तानी कपड़े पहना कर रात के समय एक हिन्दोस्तानी गुप्तचर के साथ रेजिडेन्सी में भेजा । कैवेना ने वहाँ से लौट कर कैम्पबेल को भीतर के हालात सुनाए। १४ नवम्बर को कैम्पबेल की सेना ने रेजिडेन्सी की ओर बढ़ना शुरू किया । हेवलॉक और ऊरम ने भीतर से क्रान्तिकारी सेना