पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५१०

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अवध और बिहार


पर हमला किया और कैम्पबेल की सेना ने बाहर की ओर से दबामा शुरू किया। कम्पनी की सेना में इस समय हैबलॉक, ऊटरम, दिल्ली पील, टहेड, का प्रसिद्ध हडसनहोपग्रॉण्ट, नयर गौर कमाण्डरइन-चीफ़ सर कॉलिन कैम्पबेल जैसे जबरदस्त सेनापतियों के अतिरिक इलिस्तान, चीन आदि से श्राई हुई नई अंगरेज पलटने और दिल्ली की अनुभवी अंगरेज, सिख और अन्य पक्षायी। पलटतें शामिल था । 11 , १८ नवम्बर की शाम तक कैम्पबेल की सेना दिलश बाग। पहुँची। १६ को इस सेना ने सिकन्दर बाग़ पर सिकन्दर या का। चढ़ाई की। फिर एक अत्यन्त घमासान संग्राम संग्र।म हुआ, जिसमें एक श्रोर क्रान्तिकारी सेना ने और दूसरी और सिखों ने खासी बीरता। दिखलाई । एक सिख सिपाही ही सबसे पहले गोलों की बौछार के अन्दर से सिकन्दर बान की दीवार पर चढ़ता हुया । दिखाई दिया । सामने से उसकी छाती में एक गोली लगी, वह वहीं ढेर होगया। उसके बाद जनरल कूपर और जनरल लम्सडेन भी उसी दीवार पर मारे गए। किन्तु अन्त में अपने साथियों की लाशों पर से कूदते हुए सिख और अंगरेज दोनों सिकन्दर वाग के श्रन्द्र पहुँच गए । इतने में कम्पनी की सेना ने एक दूसरी छोर सभी बाग में प्रवेश किया। सिकन्दर वारा के अन्दर की हिन्दोस्तानी सेना ने जिस श्रद्भुत वारता। के साथ उस दिन सिकन्दर बाग की रक्षा की, उसके विपय। में इतिहास लेखक मॉलेसम लिखता है --