पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५६०
भारत में अंगरेज़ी राज

१५६० भारत में अंगरेज़ी राज पहुँच कर तात्या ने कम्पनी की ४२ नम्बर पलटन को अपनी नोर किया। इसी पलटन की सहायता से उसने फिर एक बार बिटूर पर जाकर कस्ज़ा कर लिया औौर हैवलॉ की सेना परजब कि हैवलॉक लखनऊ जामा चाहता थापीछे से आक्रमण किया, यहाँ तक कि हैवलॉक को लखनऊ का इरादा छोड़ कर पीछे हट जाना पड़ा । १६ अगस्त को हैवलॉक की सेना ने फिर तात्या टोपे की सेना पर विजय प्राप्त की 1 तात्या टोपे फिर अपनी बची हुई सेना सहित भाग कर नाना के पास फ़तहूपुर पहुँचा । इसके बाद तात्या गुप्त रीति से ग्वालियर पहुंचा 1 ग्वालियर के निकट मुरार की छावनी में सींधियर की बिशाल सबसीडीयरी सेना था जिसमें पैदल पलटनें, सबार औौर तोपखाना था, तांत्या टोपे ने इस समस्त सेना को क्रान्ति की भोर तोड़ लिया। उन्हें अपने साथ लेकर तात्या मुरार से कालपी आया। कालपी का किला जमना के उस पार कानपुर से ४६ मील दूर युद्ध की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान पर था। 8 नवम्बर को तात्या टोपे ने कालपी के किले पर क़ब्ज़ा कर लिया। नाना ने अब कालपी ही को अपना केन्द्र बनाया है बालासाहब को वहाँ पर नियुक्त किया और कालपी से सेना लेकर तात्या टोपे फिर एक बार कानपुर की ओर बढ़ा 1 निस्सन्देह , पराक्रमफुरती और " ! अन्य भारतवासियों को अपने पक्ष में करने की शक्ति में तात्या | श्रढितीय था । जनरल विनढस उस समय कानपुर में था। १७ नवम्बर को तात्या टोपे ने घिनढम को घेर कर उसके पास वाहर ले रसद ।