पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५१४

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१५६१
अवध और बिहार

अवध और बिहार १५६१ इत्यादि का पहुंच सकना असम्भध कर दिया 1 बिनहम अपनी सेना

  • सहित तटया टोपे के मुकाबले के लिए कानपुर से निकला । २६

नवम्बर को पाण्डु नदी के ऊपर तात्या और घिनटम की सेना में एक घमासान संग्रास हुया ने पहले बार में कहा जाता है कि तात्या का काफ़ी नुक़सान हुआ। किन्तु तात्या की योग्यता को स्वीकार करते हुए इतिहास लेखक मॉलेस न तिरखता है- विन्द्रोही सेना का नेता मुर्दा न था ॥ विनडम ने उसे जो हानि पहुंचाई उससे इर जाने के स्थान पर वह ग्रंगरेज़ सेनापति की कमज़ोरी को प्रच्ची तरह सम गया x x x तात्या टोपे ने उस समय विनडम की स्थिति और उसकी प्राचश्यकताओं को इतनी अच्छी तरह पढ़ लिया जिस प्रकार कोई खुली हुई किताब को पढ़ता है । तात्या में एक सच्चे सेनापति के स्वाभाविक गुण मौजूद थे । उने विनडम को इन कमजोरियों से फ़ायदा उठाने का इरादा कर लिया १२०१० अगले दिम तात्या की सेना ने विमढम की सेना को तीन श्रोर से घेर कर पीछे हटाना शुरू किया है यहाँ तक कानपुर पर ताया कि बढ़ते बढ़ते प्राधा कानपुर ताया की सेना का का के कब्ज़े में श्रा गया है इसके बाद तीन दिन के १५ लगातार संग्राम के पश्चात् कानपुर का समस्त नगर फिर एक , घार तात्या टोपे के हाथों में श्रा गया और विमढम की सेना को हार पर हारखाकर मैदान से भाग जाना पड़ा। अंगरेजी सेना के है प्रनेक प्रफुसर इन तीन दिन के संग्राम में काम आए।

  • Mallesos Indian Mufil, wol. iv, 2. 67.