पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११५१
भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश ११५१ आक्रामक विदेशी समफते हैं जिन्होंने उनका देश उनसे छीन लिया है और उनके लिए धम औौर मान प्राप्त करने के समस्त मार्ग बन्द कर दिए हैं। यूरोपियन शिक्षा देने का नतीजा यह होता है कि भारतवासियों के विचार एक बिलकुल दूसरी ही घर मुड़ जाते हैं । पाश्चात्य शि। झा पाए हुए युवक स्वाधीनता के लिए प्रयत्न करना बन्द कर देते हैं ” x & वे फिर हमें अपने शत्रु और राज्यापहारी नहीं समझतेबल्कि हमें अपने मित्रअपने मददगार और बलवान और उपकारशील मनुष्य समझने लगते ,” “ ” वे यह भी समझने लगते हैं कि भारतवासी अपने देश के पुनरुजीवन के लिए जो कुछ इच्छा भी कर सकते हैं वह धीरे धीरे अंगरेजों ही के संरक्षण में सम्भव हो सकती है । यदि राजक्रान्ति के पुराने देशी विचार कायम रहे तो सम्भव है, कभी न कभी एक दिन के अम्दर हमारा अस्तित्व भारत से मिट जाय । वास्तव में जो लोग इस ढंग से भारत की उन्नति की प्राशा कर रहे हैं वे इस तथ्य को सामने रख कर हमारे विरुद्ध लगातार पड्यन्त्र और योजनाएं रचते रहते हैं। इसके विपरीत नई और उन्नत पद्धति के यूनुसार विचार करने वाले भारतवासी यह समझते हैं कि उनका उद्देश बहुत धीरे धीरे पूरा होगा और उन्हें अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचते पहुंचते सम्भव है युग बीत जायें । ’ //8 } जाँच कमेटी के अध्यक्ष ने नैवेलियन से और अधिक स्पष्ट श शो में पूछा कि आप की तजवीज का अन्तिम लक्ष्य भारत की भारत और इज्ञलिस्तान के राजनैतिक सम्बन्ध पराधीनता को चिरस्थायी करना सदा कायम रखना को तोड़ना है या उसे के लिए है ? इस पर ट्रेवेलियन ने फिर उत्तर दिया ७३ 5. ५५ ।ि