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भारत में अंगरेज़ी राज

१५७० भारत में अंगरेजी रा सभी राजभक्ति न थी x & x विप्लव के दिनों में भारतवासियों के व्यवहार का ठीक ठीक नन्दशा करने के लिएयह याद रखना आवश्यक है कि इन लोगों का हमारी जैसी एक विदेशी सरकार की घोर उस प्रकार की राजभकि अनुभव करना, जो राजक्ति कि केवल देशभक्ति के साथ साथ ही चल सकती है, मानव प्रकृति के प्रतिकूल होता 1x x उनमें एक भी मनुष्य ऐसा न था जि में यदि १क बार यह विश्वास हो जाता कि मनरेमी राज को उखाड़ कर फेंका जा सकता है, तो वह हमारे विरुद्ध न हो जाता !" रसल लिखता है कि अबध के लोग ‘आपने देश और अपने । बादशाह के लिए देशभक्ति के भाव से प्रेरित होकर लड़ रहे थे । लखनऊ नगर के अन्दर क्रान्ति का सब से योग्य नेता मौलवी अहमदशाह था, जिस का ज़िक्र ऊपर किया जा ग्रहदशाह मौलवी चुका है । ग्रह्मशाह की योग्यता के विषय में इतिहास लेखक होम्स लिखता है "फ़ैज़ाबाद का मौलवी उमधुएलाह एक ऐसा व्यक्ति था जो अपने भों और अपनी योग्यता दोनों की दृष्टि से एक महान चान्दोलन को चलाने ! और एक विशाल सेना का नेतृश्व ग्रहण करने दोनों के योग्य था।"" किन्तु दुर्भाग्यवश लखनऊ के अन्दर भी धीरे धीरे अव्यवस्था

  • PM: Stsiwa, by Homes.

+ " Engnd in e patriotic year tor their country and their sovereign." ! -Russely's Diary, p, 275. 'A man fitted both by his spirit and his capacity to support a great ' cause and to command a great rm" This was Ahmadullabasthe foulvरों -of Hyzabad."--Holes' The Suby Afwar.