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भारत में अंगरेज़ी राज

१४ भारत में अंगरेजी राज थे । थी। अंगरेजी सेना ने ६ मील तक अहमदशाह का पीछा किया, किन्तु अहमदशाह हाथ न छाया । लखनऊ के समस्त नगर पर। अब कम्पनी का कब्जा होगया। लखनऊ के पतन के बाद कम्पनी की सेना ने लखनऊ निवा सियों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया फ़रलेश्राम वह सार्वजनिक लूट और सार्वजनिक संहार, इन दो शब्द में ही बयान किया जा सकता है लेफ्टिनेरट माजेण्डी लिखता है कि लखनऊ के अन्दर उस समय के ऊरोग्राम में किसी तरह की तमीज नहीं की गई 15 हत्या से पहले जिस प्रकार की क्रूर यातनाएँ लोगों को दी गई पर L उसकी कई मिसालें रसल ने अपनी पुस्तक में दी यातनाएँ हैं। इनमें से केवल एक म नीचे उद्धत करते हैं कुछ सिपाही अभी जीवित थे और उन्हें दया के साथ मारा गया । किन्तु इनमें से एक को खींच कर मकान से याहर रेतीले मैदान में लाया गया । उसे टौंग से पकड़ कर खींचा गया, एक सुविधा की जगह काया गया । कुछ अंगरेज़ सिपाहिीं ने उसके मुँह और शरीर में सीनें भक कर उसे लटकाए रक्खा । दूसरे लोग एक छोटी सी चिता के लिए ईधन जमा कर लाए, जब सब तैयार होगा तो उसे ज़िन्दा भून दिया गया ! इस काम के . करने वाले अंगरेज़ थे, और कई अफसर खड़े देखते रहे, किन्तु किसी ने हस्तक्षेप म किया ! इस नारकी अत्याचार को बीभरसता उस समय और भी अधिक बढ़ गई जब कि उस अभागे दुखिया ने अधजली और जिन्दा हावत

  • Lteut, Majendie's A Anotg the Paris, p, 195196